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शनिवार, 5 फ़रवरी 2022

ॐ सूर्याय नमः


 आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीद मम भास्कर। दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर नमोस्तुते।।१।।

अर्थात् आदिदेव (सूर्य) को नमन, तथा हे भासः! आप मुझसे प्रसन्न हों।दिवाकर को नमस्कार और प्रभाकर को भी नमस्कार।

आदित्याय नमस्कारं ये कुर्वन्ति दिने दिने। जन्मान्तरसहस्रेषु दारिद्र्यं नोपजायते।।२।।

अर्थात् सूर्य भगवान को जो मनुष्य प्रतिदिन नमस्कार करता है, उसके जन्म जन्मान्तर के कष्ट-दुःख समाप्त हो जाते हैं। 

अद्यतन-सूक्ति

  "सूर्यवत् उद्भासितुम् इच्छति चेत् तत् वत् तपेत् आद्यम्" अर्थात् (यदि आप) सूर्य के समान चमकना चाहते हैं तो सूर्य के समान तपना सीखिए।