गणेशः
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।।१।।
अर्थात् टेढ़ी सूंड वाले, विशालकाय शरीरं वाले,करोड़ों सूर्यों के प्रकाश तुल्यं प्रकाश वाले गणेश भगवान् मेरे सभी कार्यों को सदैव विघ्न- रहित करें।
गजाननं भूतगणादि सेवितं, कपित्थजम्बूफलसारभक्षकम्।
उमासुतं शोक विनाशकारणं, नमामि विघ्नेश्वरपादपङ्कजम्।।२।।
अर्थात् भूतगणों के द्वारा सेवित,कैथ और जामुनफलों के सार को खाने वाले,(भक्तों के) शोकनाश का कारण बनने वाले पार्वती के पुत्र, विघ्नेश्वर गजानन के चरणकमलों को मैं नमस्कार करता हूँ।