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शनिवार, 29 जनवरी 2022

शिव-वन्दना

                शिवः

हरः पापानि हस्तात् शिवो दत्तां सदा शिवम्।न जानामिति नो ब्रूयात् सर्व‌ज्ञपदभाग् यतः।।

अर्थात् भगवान् शिव हमारे सभी पापों का हरण करें।वे हमें सदैव मांगल्य प्रदान करें।वे सर्वज्ञ हैं इसलिए मैं भक्त को नहीं जानता,ऐसा नहीं कहेंगे।

शिवं शिवकरं शान्तं शिवात्मानं शिवोत्तमम्।शिवमार्गप्रणेतारं प्रणतोऽस्मि सदा शिवम्।।

अर्थात् जो पवित्र हैं,शुभंकर (कल्याण करने वाले) हैं, शान्त हैं, पवित्र आत्मा वाले हैं, सबसे अधिक पवित्र हैं और भक्तों को शुभमार्ग पर ले जाने वाले हैं,उन भगवान् शिव को मैं सदैव नमस्कार करता हूँ।

अद्यतन-सूक्ति

  "सूर्यवत् उद्भासितुम् इच्छति चेत् तत् वत् तपेत् आद्यम्" अर्थात् (यदि आप) सूर्य के समान चमकना चाहते हैं तो सूर्य के समान तपना सीखिए।