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रविवार, 30 जनवरी 2022

सुभाषितम्

           अद्यतनसुभाषितम्    

आचार्यात् पादमादत्ते पादं शिष्यः स्वमेधया।पादं सब्रह्मचारिभ्यः पादं कालक्रमेण च।।

  अर्थात् विद्यार्थी चौथाई आचार्य से सीखता है,अपनी बुद्धि से चौथाई, अपने साथ पढ़ने वालों से चौथाई और शेष  चौथाई कालक्रम से सीखता है।

अद्यतन-सूक्ति

  "सूर्यवत् उद्भासितुम् इच्छति चेत् तत् वत् तपेत् आद्यम्" अर्थात् (यदि आप) सूर्य के समान चमकना चाहते हैं तो सूर्य के समान तपना सीखिए।