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रविवार, 30 जनवरी 2022

बसन्त-पञ्चमी


               सरस्वती

सरस्वति नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणि।विद्यारम्भं करिष्यामि सिद्धिर्भवतु मे सदा।।१

अर्थात् हे वर देने वाली, इच्छा के अनुसार रूप धारण करने वाली देवी सरस्वती! मैं विद्याध्ययन आरम्भ करने वाली हूँ,मुझे सदैव यश मिले।

नमस्ते शारदे देवि काश्मीरपुरवासिनि। त्वामहं प्रार्थये नित्यं विद्यां बुद्धिं च देहि मे।।२

अर्थात् हे कश्मीरनिवासिनी शारदा देवी!मैं तुम्हें नमस्कार करती हूं।मुझे विद्या और बुद्धि दो,ऐसी मैं प्रार्थना करती हूं।

अद्यतन-सूक्ति

  "सूर्यवत् उद्भासितुम् इच्छति चेत् तत् वत् तपेत् आद्यम्" अर्थात् (यदि आप) सूर्य के समान चमकना चाहते हैं तो सूर्य के समान तपना सीखिए।