अद्यतनं सुभाषितम्
अभिवादनशीलस्य नित्यं वृद्धोपसेविनः।
चत्वारि तस्य वर्धन्ते आयुः विद्या यशोबलम्।।
अर्थात् बड़ों का अभिवादन करने वाले मनुष्य की और नित्य वृद्धों की सेवा करने वाले मनुष्य की आयु, विद्या,यश और बल-ये चार चीजें सदैव बढ़ती हैं।