Followers

रविवार, 5 जून 2022

सुभाषितम्

 


         अद्यतनं सुभाषितम् 

मूर्खशिष्योपदेशेन दुष्टास्त्रीभरणेन च। 

दुःखितैः सम्प्रयोगेण पण्डितोऽप्यवसीदति॥

अर्थात् मूर्ख शिष्य को पढ़ाने पर , दुष्ट स्त्री के साथ जीवन बिताने पर तथा दुःखियों- रोगियों के बीच में रहने पर विद्वान व्यक्ति भी दुःखी हो ही जाता है ।





अद्यतन-सूक्ति

  "सूर्यवत् उद्भासितुम् इच्छति चेत् तत् वत् तपेत् आद्यम्" अर्थात् (यदि आप) सूर्य के समान चमकना चाहते हैं तो सूर्य के समान तपना सीखिए।