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शनिवार, 30 अप्रैल 2022

सुभाषितम्


       अद्यतनं सुभाषितम् 

सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयाः।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित् दुःखभाग्भवेत्।।

अर्थात् सभी सुखी हों और सभी निरोगी हों,सभी कल्याण एवं शुभ को देखें और कोई भी दुःखी न हो।

1 टिप्पणी:

अद्यतन-सूक्ति

  "सूर्यवत् उद्भासितुम् इच्छति चेत् तत् वत् तपेत् आद्यम्" अर्थात् (यदि आप) सूर्य के समान चमकना चाहते हैं तो सूर्य के समान तपना सीखिए।