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बुधवार, 5 अक्तूबर 2022

शुभ दशहरा





 धर्म एव हतो हन्ति धर्मो रक्षति रक्षितः।

तस्माद्धर्मो न हन्तव्यो मा नो धर्मो हतोऽवधीत्।।

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धर्म उसका नाश करता है जो उसका (धर्म का)नाश करता है। धर्म उसका रक्षण करता है जो उसके रक्षणार्थ प्रयास करता है। अतः धर्मका नाश नहीं करना चाहिए। धर्म का नाश करने वाले का नाश,अवश्यंभावी है।

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अधर्म पर धर्म की विजय के पर्व विजय दशमी की हार्दिक शुभकामनाएं।

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अद्यतन-सूक्ति

  "सूर्यवत् उद्भासितुम् इच्छति चेत् तत् वत् तपेत् आद्यम्" अर्थात् (यदि आप) सूर्य के समान चमकना चाहते हैं तो सूर्य के समान तपना सीखिए।