अद्यतनसुभाषितम्
उपकारिषु यः साधुः साधुत्वे तस्य को गुणः।
उपकारिषु यः साधुः स साधुरिति कीर्तितः।।
अर्थात् उपकार करने वाले के साथ जो सज्जनता से व्यवहार करता है उसकी सज्जनता का क्या अर्थ है?जो अपकार करने वाले के साथ भी सज्जनता से व्यवहार करता है वहीं सज्जन (साधु) है।
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