अद्यतनसुभाषितम्
अयं निजः परो वेति गणना लघुचेतसाम्।
उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम्।।
अर्थात् यह मेरा है,यह पराया है,इस प्रकार की गणनाएं तो छोटे मन वाले लोग करते हैं,उदार चित्त वाले व्यक्तियों के लिए तो सारी पृथ्वी ही परिवार है।
संस्कृत भाषा भारत की आत्मा के रूप में ,प्राण के रूप में धर्म एवं संस्कृति हैं। अनादिकाल से संस्कृत ही संस्कृति की वाहिका है।अतः संस्कृत हमारी सांस्कृतिक भाषा है।
अर्थात् यह मेरा है,यह पराया है,इस प्रकार की गणनाएं तो छोटे मन वाले लोग करते हैं,उदार चित्त वाले व्यक्तियों के लिए तो सारी पृथ्वी ही परिवार है।
"सूर्यवत् उद्भासितुम् इच्छति चेत् तत् वत् तपेत् आद्यम्" अर्थात् (यदि आप) सूर्य के समान चमकना चाहते हैं तो सूर्य के समान तपना सीखिए।