"सांई" अर्थात् ईशः, ईश्वर, परमात्मा।इस परमात्मा का आत्मा के रूप में सभी जीवों में वास है।इसकी अनुभूति देकर एकात्मता की शिक्षा देने के लिए ही "श्री सांई " का अवतरण हुआ।
संस्कृत भाषा भारत की आत्मा के रूप में ,प्राण के रूप में धर्म एवं संस्कृति हैं। अनादिकाल से संस्कृत ही संस्कृति की वाहिका है।अतः संस्कृत हमारी सांस्कृतिक भाषा है।
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मंगलवार, 3 मई 2022
💐💐🙏 श्री सांई बाबा🙏💐💐
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अद्यतन-सूक्ति
"सूर्यवत् उद्भासितुम् इच्छति चेत् तत् वत् तपेत् आद्यम्" अर्थात् (यदि आप) सूर्य के समान चमकना चाहते हैं तो सूर्य के समान तपना सीखिए।
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प्रश्न 4. अधोलिखितानां वाक्यानां संस्कृतेन अनुवादं कुरुत । 1. मोर वन में नाचता है। The peacock dance in the forest. 2. हर्ष प्रतिदिन विद्य...