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सोमवार, 25 अप्रैल 2022

सुभाषितम्


       अद्यतनसुभाषितम्

विद्या ददाति विनयं विनयाद् याति पात्रताम्।पात्रत्वात् धनमाप्नोति धनाद्धर्मं ततः सुखम्।।

अर्थात् ज्ञान (हमें) विनम्रता प्रदान करता है,विनम्रता से योग्यता आती है (और) योग्यता से (हमें) धन प्राप्त होता है जिससे (हम )धर्म के कार्य करते हैं (और)हमें सुख मिलता है।

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अद्यतन-सूक्ति

  "सूर्यवत् उद्भासितुम् इच्छति चेत् तत् वत् तपेत् आद्यम्" अर्थात् (यदि आप) सूर्य के समान चमकना चाहते हैं तो सूर्य के समान तपना सीखिए।