Followers

मंगलवार, 26 अप्रैल 2022

सुभाषितम्


       अद्यतनं सुभाषितम्

प्रियवाक्यप्रदानेन सर्वे तुष्यन्ति जन्तवः।
तस्मात् तदेव वक्तव्यं वचने का दरिद्रता।।

अर्थात् प्रिय वाक्य बोलने से सभी जीव प्रसन्न हो जाते हैं।मधुर वचन बोलने से पराया भी अपना हो जाता है। अतः प्रिय वचन बोलने में कंजूसी नहीं करनी चाहिए।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

अद्यतन-सूक्ति

  "सूर्यवत् उद्भासितुम् इच्छति चेत् तत् वत् तपेत् आद्यम्" अर्थात् (यदि आप) सूर्य के समान चमकना चाहते हैं तो सूर्य के समान तपना सीखिए।