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शनिवार, 8 अक्तूबर 2022

सुभाषितम्

 

         अद्यतनं सुभाषितम् 

जाड्यं धियो हरति सिंचति वाचि सत्यं ,
मानोन्नतिं दिशति पापमपाकरोति ।
चेतः प्रसादयति दिक्षु तनोति कीर्तिं , 
सत्संगतिः कथय किं न करोति पुंसाम् ।।
 
अर्थात्  सज्जनों की संगति बुद्धि की जड़ता को दूर करती है, वाणी में सत्य सींचती है अर्थात् सच बोलना सिखाती है।सम्मान-प्रतिष्ठा उन्नति करती है और सभी दिशाओं में कीर्ति फैलाती है।बताओ सत्सङ्गति मनुष्यों का क्या उपकार नहीं करती अर्थात् सब कुछ करती है।





अकारान्त-पुंल्लिङ्ग -शब्दाः

 

अकारान्त-पुंल्लिङ्ग-शब्दाः

          शब्दार्थाः

चषकः (गिलास)

सौचिकः (दर्जी)

बलिवर्दः (बैल)

शुनकः(कुत्ता)

स्यूतः (बैग)

वृद्धः (बूढ़ा पुरुष)

मण्डूकः (मेंढक)

काकः (कौआ)

भल्लूकः(भालू)

वृषभः (बैल)

गजः (हाथी)

शिक्षकः (अध्यापक)

मूषकः (चूहा)

मकरः (मगरमच्छ)

घटः (घड़ा)

अश्वः (घोड़ा)

बालकः ( लड़का)

चालकः (ड्राइवर)

शुकः(तोता)

चन्द्रः (चन्द्रमा)




      


प्रथमः पाठः- शब्दपरिचयः -1 

           (अकारान्त-पुंल्लिंगः)

अकारान्त का अर्थ है- अकार ("अ "वर्ण) है अन्त में जिसके । वे शब्द जिनके अन्त में "अ" वर्ण (अकार)आता है, अकारान्त पुंल्लिङ्ग शब्द कहलाते हैं । जैसे -
  राम - र्+आ+म्+ (अन्तिम वर्ण "अ"है)
अतः "राम" शब्द पुंल्लिङ्ग शब्द है।इसी प्रकार, श्याम,अनुज,मयूर,काक,पिक इत्यादि को भी समझना चाहिए। 

                उदाहरणानि  


                          कृषकः  (किसान )


दूरभाषः(टेलिफोन)



                 पर्यङ्कः(
पलंग)


                     कपोतः (कबूतर)

शुक्रवार, 7 अक्तूबर 2022

 



अतुल्य पराक्रम व अटूट प्रतिबद्धता के साथ माँ भारती की रक्षा हेतु सतत तैयार Indian Air Force के सभी वीर योद्धाओं व उनके परिजनों को 'भारतीय वायु सेना दिवस' की हार्दिक बधाई। हर परिस्थिति में भारतीय नभ क्षेत्र की सुरक्षा के प्रति आपके समर्पण पर हमें गर्व है। जय हिंद! 

बुधवार, 5 अक्तूबर 2022

शुभ दशहरा





 धर्म एव हतो हन्ति धर्मो रक्षति रक्षितः।

तस्माद्धर्मो न हन्तव्यो मा नो धर्मो हतोऽवधीत्।।

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धर्म उसका नाश करता है जो उसका (धर्म का)नाश करता है। धर्म उसका रक्षण करता है जो उसके रक्षणार्थ प्रयास करता है। अतः धर्मका नाश नहीं करना चाहिए। धर्म का नाश करने वाले का नाश,अवश्यंभावी है।

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अधर्म पर धर्म की विजय के पर्व विजय दशमी की हार्दिक शुभकामनाएं।

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अद्यतन-सूक्ति

  "सूर्यवत् उद्भासितुम् इच्छति चेत् तत् वत् तपेत् आद्यम्" अर्थात् (यदि आप) सूर्य के समान चमकना चाहते हैं तो सूर्य के समान तपना सीखिए।