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शनिवार, 30 अप्रैल 2022

सुभाषितम्


       अद्यतनं सुभाषितम् 

सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयाः।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित् दुःखभाग्भवेत्।।

अर्थात् सभी सुखी हों और सभी निरोगी हों,सभी कल्याण एवं शुभ को देखें और कोई भी दुःखी न हो।

शुक्रवार, 29 अप्रैल 2022

सुभाषितम्

 

     अद्यतनं सुभाषितम् 

असतो मा सद्गमय,
तमसो मा ज्योतिर्गमय,
मृत्योर्मा अमृतं गमय।।

अर्थात् असत्य से सत्य की ओर ले चलो, अन्धकार से प्रकाश की ओर तथा मृत्यु से अमरता की ओर ले चलो।

गुरुवार, 28 अप्रैल 2022

सुभाषितम्

 

        अद्यतनं सुभाषितम् 

अभिवादनशीलस्य नित्यं वृद्धोपसेविनः।
चत्वारि तस्य वर्धन्ते आयुः विद्या यशोबलम्।।

अर्थात् बड़ों का अभिवादन करने वाले मनुष्य की और नित्य वृद्धों की सेवा करने वाले मनुष्य की आयु, विद्या,यश और बल-ये चार चीजें सदैव बढ़ती हैं।

मंगलवार, 26 अप्रैल 2022

सुभाषितम्


       अद्यतनं सुभाषितम्

प्रियवाक्यप्रदानेन सर्वे तुष्यन्ति जन्तवः।
तस्मात् तदेव वक्तव्यं वचने का दरिद्रता।।

अर्थात् प्रिय वाक्य बोलने से सभी जीव प्रसन्न हो जाते हैं।मधुर वचन बोलने से पराया भी अपना हो जाता है। अतः प्रिय वचन बोलने में कंजूसी नहीं करनी चाहिए।

सोमवार, 25 अप्रैल 2022

सुभाषितम्


       अद्यतनसुभाषितम्

विद्या ददाति विनयं विनयाद् याति पात्रताम्।पात्रत्वात् धनमाप्नोति धनाद्धर्मं ततः सुखम्।।

अर्थात् ज्ञान (हमें) विनम्रता प्रदान करता है,विनम्रता से योग्यता आती है (और) योग्यता से (हमें) धन प्राप्त होता है जिससे (हम )धर्म के कार्य करते हैं (और)हमें सुख मिलता है।

रविवार, 24 अप्रैल 2022

सुभाषितम्


       अद्यतनसुभाषितम्

यथा चित्तं तथा वाचो यथा वाचस्तथा क्रियाः।
चित्ते वाचि क्रियायां च साधुनामेकरूपता।।

अर्थात् अच्छे लोग वहीं बात बोलते हैं जो उनके मन में होती है, अच्छे लोग जो बोलते हैं वहीं करते हैं।ऐसे पुरुषों के मन ,वचन व कर्म में समानता होती है।

अद्यतन-सूक्ति

  "सूर्यवत् उद्भासितुम् इच्छति चेत् तत् वत् तपेत् आद्यम्" अर्थात् (यदि आप) सूर्य के समान चमकना चाहते हैं तो सूर्य के समान तपना सीखिए।