संस्कृत भाषा भारत की आत्मा के रूप में ,प्राण के रूप में धर्म एवं संस्कृति हैं। अनादिकाल से संस्कृत ही संस्कृति की वाहिका है।अतः संस्कृत हमारी सांस्कृतिक भाषा है।
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मंगलवार, 21 जून 2022
शनिवार, 18 जून 2022
शुक्रवार, 17 जून 2022
सुभाषितम्
अद्यतनं सुभाषितम्
न किञ्चित् सहसा कार्यं कार्यं कार्यविदा क्वचित्।
क्रियेत चेत् विविच्यैव तस्य श्रेयः करस्थितम्।।
अर्थात् विद्वान् व्यक्ति को कोई भी काम अचानक नहीं करना चाहिए।यदि कोई भली प्रकार सोचकर कार्य करता है,तो सफलता उसके हाथ में रहती है।
गुरुवार, 9 जून 2022
ॐ विष्णवे नमः
पानी अपनी इच्छा से काम नहीं करता है। माली इसको जिस पौधे पर डाल देता है,वहाँ जाता है, माली जिधर बहाता है,उधर बहता है। हमें अपना जीवन पानी की तरह बना लेना चाहिए। *अपनी सब कामनाओं व समस्याओं को मालीरूपी भगवान के हाथों सौंप कर निश्चिन्त हो जाना चाहिए।*
जयश्रीमन्नारायण
रविवार, 5 जून 2022
सुभाषितम्
अद्यतनं सुभाषितम्
मूर्खशिष्योपदेशेन दुष्टास्त्रीभरणेन च।
दुःखितैः सम्प्रयोगेण पण्डितोऽप्यवसीदति॥
अर्थात् मूर्ख शिष्य को पढ़ाने पर , दुष्ट स्त्री के साथ जीवन बिताने पर तथा दुःखियों- रोगियों के बीच में रहने पर विद्वान व्यक्ति भी दुःखी हो ही जाता है ।
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अद्यतन-सूक्ति
"सूर्यवत् उद्भासितुम् इच्छति चेत् तत् वत् तपेत् आद्यम्" अर्थात् (यदि आप) सूर्य के समान चमकना चाहते हैं तो सूर्य के समान तपना सीखिए।
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अभ्यासप्रश्नपत्रानुसारम् कक्षा - षष्ठी तःअष्टमी पर्यन्तं खण्ड-क (अपठित-अवबोधनम्)-(8अङ्काः) प्रश्न 1.अधोलिख...
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"सूर्यवत् उद्भासितुम् इच्छति चेत् तत् वत् तपेत् आद्यम्" अर्थात् (यदि आप) सूर्य के समान चमकना चाहते हैं तो सूर्य के समान तपना सीखिए।
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प्रश्न 4. अधोलिखितानां वाक्यानां संस्कृतेन अनुवादं कुरुत । 1. मोर वन में नाचता है। The peacock dance in the forest. 2. हर्ष प्रतिदिन विद्य...